THE BEST SIDE OF BAGLAMUKHI SADHNA

The best Side of baglamukhi sadhna

The best Side of baglamukhi sadhna

Blog Article



यद्यपि पंचोपचार पूजन में ‘कर्पूरदीप जलाना” यह उपचार नहीं है, तथापि कर्पूर की सात्विकता के कारण उस का दीप जलाने से सात्विकता प्राप्त होने में सहायता मिलती है। अतएव नैवेद्य दिखाने के उपरांत कर्पूरदीप जलाएं। शंखनाद कर देवी की भावपूर्वक आरती उतारें। आरती ग्रहण करने के उपरांत नाक के मूल पर (आज्ञाचक्र पर) विभूति लगाएं और तीन बार तीर्थ प्राशन करें। अंत में प्रसाद ग्रहण करें तथा उसके उपरांत हाथ धोएं)

Mastery in a very task can only be obtained via a Expert. Mastery implies efficiency. Just like someone wishes to make an idol, then He'll do the perform of that idol who's proficient With this artwork and the learners want to learn the skill of idol from him.

Devi would be the goddess of Raja Yoga. She's subject matter to authority. For that reason, the leaders also visit her shelter. The goddess could be the goddess of welfare. She will not like injustice. She is definitely the goddess of justice.

कर्ज मनुष्य की सबसे बड़ी समस्या है। कर्ज से मुक्ति अर्थात अपमान से मुक्ति। जब कर्ज कष्ट बन जाए तब माँ बगलामुखी उन लोगों की अति सहायता करती है जो धन, व्यापार और वित्त बाधाओं के कारण कर्ज में डूबे हुए हैं। माँ कर्ज मुक्ति व धन वृद्धि मे सहायक हैं।

परिक्रमा के उपरांत मंत्रपुष्प-उच्चारण कर, देवी को अक्षत अर्पित करें। फिर पूजा में हमसे हुई ज्ञात-अज्ञात चूकों तथा त्रुटियों के लिए अंत में देवी से क्षमा मांगें और पूजा का समापन करें। अंत में विभूति लगाएं, तीर्थ प्राशन करें और प्रसाद ग्रहण करें।

श्रीनित्ये बगलामुखि! प्रतिदिनं कल्याणि! तुभ्यं नमः।।

इस साधना में पीली धोती और पीला वस्त्र ही पहना जा सकता है

आचमनी में जल लेकर उसमें चंदन, अक्षत तथा पुष्प डालकर, उसे मूर्ति के हाथ पर चढ़ाएं ।

Prior to she could slaughter him, be that as it may well, he designed a ask for to become adored along with her, and he or she yielded, that’s click here The explanation he is delineated with Goddess Bagalamukhi.

तीसरा उपचार: पाद्य (देवी को चरण धोने के लिए जल देना; पाद-प्रक्षालन)

विश्व-व्यचा इषयन्ती सुभूता शिवा नो अस्तु अदितिरुपस्थे।।

त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।

माला पूर्ण प्राण संस्कारित होनी चाहिए

मङ्गलवार-युक्त चतुर्दशी, मकार, कुल-नक्षत्रों से युक्त ‘वीर-रात्रि कही जाती है। इसी की ‘ अर्ध-रात्रि’ में श्रीबगला का आविर्भाव हुआ था।

Report this page